عربيEnglish

The Noble Qur'an Encyclopedia

Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languages

Repentance [At-Taubah] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari - Ayah 118

Surah Repentance [At-Taubah] Ayah 129 Location Madanah Number 9

وَعَلَى ٱلثَّلَٰثَةِ ٱلَّذِينَ خُلِّفُواْ حَتَّىٰٓ إِذَا ضَاقَتۡ عَلَيۡهِمُ ٱلۡأَرۡضُ بِمَا رَحُبَتۡ وَضَاقَتۡ عَلَيۡهِمۡ أَنفُسُهُمۡ وَظَنُّوٓاْ أَن لَّا مَلۡجَأَ مِنَ ٱللَّهِ إِلَّآ إِلَيۡهِ ثُمَّ تَابَ عَلَيۡهِمۡ لِيَتُوبُوٓاْۚ إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلتَّوَّابُ ٱلرَّحِيمُ [١١٨]

तथा उन तीन[54] लोगों की भी (तौबा क़बूल कर ली), जिनका मामला स्थगित कर दिया गया था, यहाँ तक कि जब धरती उनपर अपने विस्तार के बावजूद तंग हो गई और उनपर उनके प्राण संकीर्ण[55] हो गए और उन्होंने यक़ीन कर लिया कि अल्लाह से भागकर उनके लिए कोई शरण लेने का स्थान नहीं, परंतु उसी की ओर। फिर उसने उनपर दया करते हुए उन्हें तौबा की तौफ़ीक़ दी, ताकि वे तौबा करें। निश्चय अल्लाह ही है जो बहुत तौबा क़बूल करने वाला, अत्यंत दयावान् है।